अकोला- जिले के कुछ किसान पारम्परिक फसलों पर निर्भर न रहते हुए, उन्नत फसलों की ओर मोड़ने लगे है। जिससे कई किसानों ने शुक्रवार, 3 मई को अपनी सरसो और करडई की फसल मंडी में बेचने के लिए लाई थी। जिसे दाम भी काफी अच्छे 3,600 रू. के ऊपर 5 हजार रू. क्विंटल तक मिले है और दोनो उत्पादो की आवक 16 क्विंटल रही। सोयाबीन, तुअर, कपास, उड़द, मूंग आदि पारंपरिक फसलों की किसान बुआई करते है। लेकिन जब फसल हाथ में आने लगती हैं, तब प्राकृतिक आपदा से या वनचरो से नुकसान पहुंचता है। जिससे किसानों की फसलों की कम पैदावार होकर उनकी लागत का खर्च भी निकलना मुश्किल हो जाता है।
जिससे जिले के कई किसान उन्नती फसलों की ओर मोड़ने लगे है। ऐसे जिले के कुछ किसानों ने शुक्रवार, 3 मई को अपनी करडई और सरसों की फसल मंडी में बेचने के लिए लाई थी। करडई की 12 क्विंटल आवक रही और उसे 3,650 रू. क्विंटल तक दाम मिले है। इसी तरह सरसो की 4 क्विंटल आवक रही और उसे 3,850 रू. क्विंटल से लेकर 5000 रू. क्विंटल तक दाम मिले है। शुक्रवार को अरहर को सबसे अधिक दाम मिले है। बल्कि अरहर की आवक 1,447 क्विंटल रही और मंडी ने 7,700 रू. से लेकर 12,100 रू. क्विंटल तक दाम मिले है।
सोयाबीन की आवक बढ़ रही है
पीले सोने के रूप में पहचाने जानेवाले सोयाबीन के दाम विगत कुछ दिनों से 4 हजार के ऊपर और 5 हजार के नीचे स्थिर हुए नजर आ रहे हैं। लेकिन इसके मुकाबले सोयाबीन की आवक बढ़ रही है इसकी तुलना में तो उन्नत फसलों को काफी अच्छे दाम मिल रहे है। शुक्रवार, 3 मई को सोयाबीन की 3 हजार 534 क्विंटल आवक रही और उसे 4,100 रू. से लेकर 4,440 रू. क्विंटल तक दाममिले है। जिससे किसानों में निराशा व्यक्त की जा रही है। सोयाबीन को काफी अच्छे दाम देने की मांग सोयाबीन उत्पादकों से जोर पकड़ रही है।
अरहर को मंडी में विगत कुछ महीने से दस हजार के ऊपर दाम मिल रहे है। लेकिन इसके मुकाबले सोयाबीन को आधे भी दाम नहीं मिल रहे है।जिससे सोयाबीन उत्पादक किसानों में नाराजगी जताई जा रही है। सोयाबीन से बेहत चना चमकने लगा है। चने को मंडी में शुक्रवार को 4,800 रू. क्विंटल से लेकर 6,360 रू. क्विंटल तक दाम मिले है और इसकी आवक 1,746 क्विंटल रही है।