अकोला (डी गवई – दैनिक दिव्य हिन्दी) | सूफी संगीत के नाम पर अकोला में हाल ही में आयोजित हुए ‘बिस्मिल की महफ़िल – मैं हूँ सूफी’ कार्यक्रम अब अकोला में भारी विवाद का केंद्र बन गया है। कार्यक्रम को लेकर दर्शकों, स्पॉन्सर्स और इवेंट पार्टनर्स की ओर से आर्थिक फसवणूक (ठगी) के गंभीर आरोप लगाए जा रहे हैं।
दो घंटे के कार्यक्रम का प्रचार कर कुछ ही मिनटों में प्रस्तुति समेट लेने, महंगे टिकटों के बावजूद मूलभूत सुविधाओं की भारी कमी और आयोजकों की संदिग्ध चुप्पी ने नागरिकों में तीव्र आक्रोश पैदा कर दिया है। वीआईपी, प्लैटिनम और गोल्ड टिकटों के नाम पर हजारों से लेकर सवा लाख रुपये तक वसूले गए, लेकिन दर्शकों को न तय सुविधा मिली, न गुणवत्ता। वही कार्यक्रम समय पर शुरू नहीं हुआ, बैठने की व्यवस्था अस्त-व्यस्त रही, सेवा कर्मियों की भारी कमी दिखाई दी और सबसे अहम—सूफी संगीत की जिस गरिमा का दावा किया गया था, वह मंच पर कहीं नज़र नहीं आई।
कार्यक्रम के प्रचार में भव्यता के बड़े-बड़े दावे किए गए, लेकिन ज़मीनी हकीकत बिल्कुल उलट निकली। कार्यक्रम समय पर शुरू नहीं हुआ, बैठने की व्यवस्था अस्त-व्यस्त रही, स्टाफ नदारद रहा और सबसे अहम—कार्यक्रम की गुणवत्ता शून्य साबित हुई। सूफी संगीत के नाम पर लोगों को आकर्षित कर कुछ ही मिनटों में कार्यक्रम समेट दिया गया, जिससे दर्शकों में भारी आक्रोश फैल गया।
‘बिस्मिल’ नाम का इस्तेमाल, प्रस्तुति नाममात्र
प्रसिद्ध सूफी गायक बिस्मिल के नाम पर टिकटों की धड़ल्ले से बिक्री की गई, लेकिन वास्तविक प्रस्तुति उम्मीदों के आसपास भी नहीं पहुंची। दो घंटे का कार्यक्रम घोषित कर केवल कुछ मिनटों की प्रस्तुति देने के बाद ‘महफ़िल’ खत्म कर दी गई। सूत्रों से मिली जानकरी अनुसार आयोजक द्वरा बिस्मिल को ठहराए हुए अनुबंध के तथत राशी नहीं मिलने से बिस्मिल वहा से जल्द चल पड़ा वही अब नाराज़ दर्शकों का कहना है—“यह ‘मैं हूँ सूफी’ नहीं, बल्कि ‘मैं हूँ ठगी’ है।”
आयोजकों की संदिग्ध चुप्पी
कार्यक्रम समाप्त होने के बाद आयोजकों से संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन वे या तो कार्यक्रम स्थल से गायब मिले या फिर फोन पर कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया गया। न कोई आधिकारिक स्पष्टीकरण, न ही पैसे लौटाने की कोई गारंटी—इस चुप्पी ने पूरे मामले को और संदिग्ध बना दिया है।
अब सवाल उठ रहा है—यह अव्यवस्था थी या जानबूझकर की गई आर्थिक धोखाधड़ी?
इवेंट पार्टनर भी नाराज़
इस कार्यक्रम के आयोजक ‘इल्यूजन स्पार्क एंटरटेनमेंट’ साहिल नामक व्यक्ति से जुड़े स्थानीय स्पॉन्सर और इवेंट पार्टनर भी अंदरखाने बेहद नाराज़ बताए जा रहे हैं। मिली जानकारी अनुसार फूड, बेवरेज और लिकर पार्टनर्स ने अनुबंध के अनुसार अपनी सामग्री समय पर स्थल पर पहुंचाई, लेकिन उसे टेबल तक पहुंचाने की जिम्मेदारी आयोजकों की थी, जिसे उन्होंने निभाया ही नहीं। ऐन वक्त पर हुई इस बदइंतजामी से पार्टनर्स को भारी परेशानी झेलनी पड़ी। अब इन पार्टनर्स में भी आयोजकों के खिलाफ रोष देखा जा रहा है।
पुलिस अनुमति पर भी बड़ा सवाल
वीवीआईपी टिकटों के नाम पर शराब और भोजन की विशेष टेबल सेवा का प्रचार किया गया था, लेकिन कई दर्शकों को यह सुविधा मिली ही नहीं। ऐसे में सवाल उठता है कि पुलिस अनुमति किन शर्तों पर दी गई थी?
यदि अनुमति प्रक्रिया में लापरवाही हुई है, तो इसकी जिम्मेदारी तय करने की मांग भी ज़ोर पकड़ रही है।
आयोजक ‘नॉट रिचेबल’ — जांच और रिफंड की मांग तेज
पूरे मामले की गहन जांच, दोषियों पर कड़ी कार्रवाई और ठगे गए नागरिकों को पूरा पैसा वापस दिलाने की मांग अब ज़ोर पकड़ चुकी है। सूफी संगीत के नाम पर ऐसी इवेंट ठगी पर रोक लगाने के लिए प्रशासन से तत्काल हस्तक्षेप की अपेक्षा की जा रही है। सूत्रों के अनुसार, दर्शकों के बढ़ते आक्रोश के चलते आयोजक फिलहाल ‘नॉट रिचेबल’ हो गया है। वही उनके साथ जुल्दे को पाट्नर भी अब सवालो के घेरे में है क्या उन्होंने व्यक्ति की पुष्ट भूमि जाचे बगर लाखो रूपये इसमें निवेश कर को पाट्नर स्पोसर बने





